अपने विचारों, भावों को शब्दों के द्वारा लिखित रूप में अपेक्षित व्यक्ति तक पहुँचा देने वाला साधन है पत्र ! हम सभी ‘पत्रलेखन‘ से परिचित हैं ही। आज-कल हम नई तकनीक को अपना रहे हैं। संगणक, भ्रमणध्वनि, अंतरजाल, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग जैसी तकनीक को अपने दैनिक जीवन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दूरध्वनि, भ्रमणध्वनि के आविष्कार के बाद पत्र लिखने की आवश्यकता कम महसूस होने लगी है फिर भी अपने रिश्तेदार, आत्मीय व्यक्ति, मित्र/सहेली तक अपनी भावनाएँ प्रभावी ढंग से पहुँचाने के लिए पत्र एक सशक्त माध्यम है। पत्रलेखन की कला को आत्मसात करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है । अपना कहना (माँग/शिकायत / अनुमति / विनती / आवेदन) उचित तथा कम-से-कम शब्दों में संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाना, अनुरूप भाषा का प्रयोग करना एक कौशल है। अब तक हम जिस पद्धति से पत्रलेखन करते आए हैं, उसमें नई तकनीक के अनुसार अपेक्षित परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है।। पत्र-लेखन एक कला है। अपने विचारों को संक्षेप में प्रभावकारी ढंग से विषय के अनुरूप भाषा का प्रयोग कर पहुँचाना एक प्रकार का हुनर है। पत्र के द्वारा हम अपनी भावनाओं और अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से लिखित रूप में किसी व्यक्ति तक पहुँचाते हैं। आज अपनी भावनाओं और विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए तीव्र गतिवाले उपकरणों का प्रचार बहुत तेजी से हो रहा है। ऐसी हालत में पहले की अपेक्षा आजकल पत्र लिखने की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। फिर भी अपने खास व्यक्तियों, संबंधियों, मित्रों, व्यावसायिक कार्यों तथा सरकारी कामकाज के लिए पत्र लिखने की आवश्यकता होती ही है। अब तक हम पत्र भेजने के लिए लिफाफे का प्रयोग करते थे और उस पर पत्र भेजने वाले का नाम और पता लिखते थे। अब ई-मेल से भेजे जाने वाले पत्रों में लिफाफों की आवश्यकता नहीं रही। इसलिए पत्र में ही पत्र भेजने वाले का नाम, ता और ई-मेल आईडी लिखना होता है। अब आपको ई-मेल भेजने के तरीके से परिचित होना है। अतः ई-मेल के प्रारूप के अनुरूप पत्र लेखन की पद्धति अपनाना अपेक्षित है। |